
अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
(भागवत महापुराण से ली गई कथा)
भूमिका
भारत की पौराणिक कथाएँ केवल कहानियाँ नहीं, बल्कि जीवन जीने की राह दिखाने वाले दीपक हैं। इनमें से एक अत्यंत प्रसिद्ध कथा है – अजामिल की मुक्ति की कथा। यह कथा हमें यह संदेश देती है कि भगवान का नाम कितना महान और शक्तिशाली है। चाहे मनुष्य अपने जीवन में कितनी भी भूलें क्यों न कर ले, यदि अंतिम क्षणों में भी वह भगवान का नाम ले ले तो उसकी आत्मा का उद्धार हो सकता है।
अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
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कन्याकुब्ज नगरी और अजामिल का जन्म
बहुत समय पहले गंगा तट पर स्थित एक नगर था – कन्याकुब्ज। वहीं पर एक विद्वान ब्राह्मण के घर एक तेजस्वी पुत्र का जन्म हुआ, जिसका नाम रखा गया – अजामिल।
अजामिल बचपन से ही संस्कारी, धार्मिक और शास्त्रों का ज्ञाता था।
वह वेदों, उपनिषदों और धर्मग्रंथों का अध्ययन करता और पूजा-पाठ में लीन रहता।
उसका हृदय बहुत कोमल और पवित्र था।
गुरुकुल से शिक्षा पूर्ण करने के बाद अजामिल एक आदर्श ब्राह्मण जीवन जीने लगा। वह सत्यवादी, दयालु और ईश्वरभक्त था।
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
वह घटना जिसने जीवन बदल दिया
एक दिन अजामिल वन में लकड़ियाँ लाने गया। वहाँ उसने एक सुंदर युवती को एक शिकारी के साथ देखा। दोनों हँसते–खेलते एक-दूसरे में मग्न थे।
अजामिल के मन में वासना की अग्नि जल उठी।
वह उस स्त्री के सौंदर्य से इतना मोहित हुआ कि घर लौटकर भी उसका चेहरा नहीं भूल सका।
धीरे-धीरे उसका मन धर्म और साधना से हट गया। उसने उस स्त्री को अपनी पत्नी बना लिया और उसके मोह में पड़कर सारा जीवन भोग-विलास में बिताने लगा।
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
धर्म से पतन
अजामिल का पतन दिन-प्रतिदिन गहराता गया।
उसने सत्य और धर्म को त्याग दिया।
वह चोरी, छल और पाप करने लगा।
अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए वह दूसरों का धन हड़पता।
एक समय का विद्वान ब्राह्मण अब अधर्म और पाप में डूब चुका था।
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
संतान का मोह
अजामिल के कई बच्चे हुए, लेकिन उसे सबसे अधिक स्नेह अपने सबसे छोटे पुत्र से था, जिसका नाम उसने रखा था – नारायण।
अजामिल अपने पुत्र नारायण को बहुत प्यार करता।
दिन-रात वह “नारायण, नारायण” पुकारकर अपने बेटे को बुलाता।
धीरे-धीरे यह नाम उसके जीवन का सबसे प्रिय उच्चारण बन गया।
उसे ज्ञात ही नहीं था कि यही “नारायण” नाम उसके जीवन का उद्धार करने वाला है।
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
अंतिम समय
समय बीतता गया और एक दिन मृत्यु का समय समीप आ पहुँचा।
अजामिल मृत्युशैया पर लेटा था।
उसका शरीर कमजोर हो चुका था और प्राण निकलने ही वाले थे।
जैसे ही उसकी अंतिम घड़ियाँ आईं, भयानक यमदूत वहाँ प्रकट हुए।
उनके हाथ में फंदा था।
वे भयंकर स्वर में बोले – “चलो अजामिल, तुम्हारे पापों का दंड देने का समय आ गया है।”
अजामिल ने जब उन भयंकर यमदूतों को देखा तो भय से कांप उठा। उसके मुँह से जोर-जोर से केवल एक ही शब्द निकला –
“नारायण! नारायण!”
वह अपने पुत्र को पुकार रहा था।
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
नाम का चमत्कार
लेकिन जैसे ही अजामिल के मुख से “नारायण” नाम निकला, वहाँ चार तेजस्वी पुरुष प्रकट हुए।
ये थे भगवान विष्णु के दूत – विष्णुदूत।
उनका शरीर दिव्य प्रकाश से चमक रहा था।
वे शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए थे।
विष्णुदूतों ने तुरंत यमदूतों को रोक दिया और बोले –
“अजामिल ने अंतिम समय में भगवान नारायण का नाम लिया है। इस कारण इसके पाप क्षण भर में नष्ट हो गए। इसे ले जाने का तुम्हें कोई अधिकार नहीं है।”
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
विष्णुदूत और यमदूतों का संवाद
यमदूत आश्चर्यचकित होकर बोले –
“यह व्यक्ति जीवनभर पाप करता रहा है। चोरी, व्यभिचार, छल, दुराचार – सभी पाप इसमें भरे हुए हैं। हम इसे नरक ले जाने आए हैं।”
विष्णुदूत मुस्कुराए और उत्तर दिया –
“सत्य है कि यह पाप करता रहा, लेकिन भगवान के नाम की महिमा असीम है। अंतिम समय में इसके मुख से ‘नारायण’ नाम निकला और वही नाम इसके सारे पापों को भस्म करने के लिए पर्याप्त है।”
यमदूत यह सुनकर निरुत्तर हो गए और वहाँ से लौट गए।
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
अजामिल का प्रायश्चित
अजामिल ने अपनी आँखों से यह अद्भुत दृश्य देखा।
उसके हृदय में गहन पश्चाताप जाग उठा।
वह रोने लगा और बोला – “हे प्रभु! मैंने जीवनभर पाप किए, लेकिन आपने केवल आपके नाम के कारण मुझे बचा लिया।”
इसके बाद अजामिल ने गंगा तट पर जाकर कठोर तप किया और शेष जीवन पूर्ण भक्ति में बिताया।
अंततः वह भगवान के धाम को प्राप्त हुआ।
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अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
कथा से शिक्षा
1. भगवान का नाम अनंत शक्ति का स्रोत है
– केवल एक बार नाम लेने से ही पाप नष्ट हो सकते हैं।
2. अंतिम क्षण भी महत्वपूर्ण है
– यदि मृत्यु के समय नाम लिया जाए तो मुक्ति संभव है।
3. पश्चाताप और भक्ति का महत्व
– जीवन में भटकने के बाद भी यदि सच्चा पश्चाताप हो तो भगवान क्षमा कर देते हैं।
4. संतान मोह भी साधन बन सकता है
– अजामिल अपने पुत्र को पुकार रहा था, परंतु भगवान ने इसे भक्ति मानकर स्वीकार कर लिया।
अजामिल की कथा : भगवान के नाम का अद्भुत प्रभाव
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सारांश
👉 यह कथा हमें यह सिखाती है कि –
“भगवान का नाम ही जीवन का सबसे बड़ा सहारा है।”
जो व्यक्ति भक्ति और श्रद्धा से नाम जपता है, उसका उद्धार निश्चित है।
चाहे जीवन कितना भी पापमय क्यों न हो, भगवान अपने भक्त का कभी त्याग नहीं करते।
youtube पर देखे अजामिल की कहानी
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